एक धातु की देहली तरंगदैर्ध्य $2000 A$ है, इसका कार्य फलन होगा
[1995]
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$\lambda_0=2000 A$
$ W =\frac{ h ^{ C }}{\lambda_0}$
$=\frac{6.6 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{2000 \times 10^{-10}}$
$\lambda_0=6.2\ eV $
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एक धातु का कार्यफलन $hv v _0$ है। यदि इस पर $2 hv _0$ की ऊर्जा का प्रकाश डाला जाए तो $4 \times 10^6$ मी/सेकण्ड की गति वाले इलैक्ट्रान बाहर निकलते हैं। यदि $5 h v_0$ ऊर्जा वाली प्रकाश डाले जाए तो निकले इलैक्ट्रान की अधिकतम गतिज ऊर्जा है
किसी प्रकाश सुग्राही धातु के लिये, देहली आवृत्ति $3.3 \times 10^{14} Hz$ है। यदि इस धातु पर $8.2 \times 10^{14} Hz$ आवृत्ति का प्रकाश आपतित हो तो प्रकाश विद्युत उत्सर्जन के लिए निरोधी $($अन्तक$)$ वोल्टता होगी, लगभगः
एक प्रकाश$-$वैद्युत सेल में $\lambda$ तरंग$-$दैर्ध्य का प्रकाश डालने पर इलैक्ट्रॉन की सर्वाधिक गति $v$ है, तो तरंगदैर्ध्य $3 \lambda / 4$ करने से सर्वाधिक गति होगी
एक मिलीग्राम द्रव्यमान का एक गतिशील कण उतना ही तरंगदैर्ध्य रखता है जितना की $3 \times 10^6\ ms ^{-1}$ चाल से चलने वाला इलेक्ट्रॉन। कण की चाल होगी:
$($इलैक्ट्रान का द्रव्यमान $=9.1 \times 10^{-31} \ kg )$
एक आयनीकरण बॉक्स में दो समान्तर प्लेट एनोड तथा कैथोड जिन पर $5 \times 10^7$ इलैक्ट्रॉन है। इतना ही एनोड के पास सिंगल आवेशित धनात्मक आवेश प्रति सेमी$^3$ में है इलैक्ट्रॉन एनोड की तरफ $0.4$ मी/सेकण्ड से भागते हैं तो एनोड पर धारा घनत्व $4$ माइक्रो एम्पियर / मी$^2$ होता है। धनात्मक आवेश की चाल होगी $-$