एक एकवर्णी प्रकाश की तरंग निर्वात से अपवर्तनांक 1. 5 वाले माध्यम में आपतित होती है। अपवर्तित प्रकाश की तरंग दैर्ध्य होगी:
[1991]
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(c) $\mu=\frac{ c }{ v }=\frac{ n \lambda u }{ n \lambda m } \Rightarrow \lambda m =\frac{\lambda u }{\mu}$
$\mu$ प्रकाश का वेग निर्वात में तथा $u =$ प्रकाश वेग किसी माध्यम में है । $\mu=$ अपवर्तनांक
$\therefore \lambda_{ m }<\lambda_{ a }$ अतः $\mu>1$
अतः तरंगदैर्ध्य भी घटेगा।
दूसरा हल: $c =v \lambda$
अपवर्तन में आवृत्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता। यदि प्रकाश निर्वात से माध्यम में आपतित होता है तो प्रकाश वेग घटेगा अतः तरंग दैर्ध्य भी घटेगा।
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द्रुत वेग से चलती हुई इलेक्ट्रॉनों की एक समान्तर किरणपुंज, किसी पतली झिरी पर लम्बवत् आपतित है। इस झिरी से पर्याप्त दूरी पर एक प्रतिदीप्त पर्दा रखा है। यदि, इलेक्ट्रॉनों की चाल को बढ़ा दिया जाए तो, निम्नांकित में से कौन-सा कथन सत्य होगा ?
यंग का प्रयोग $\lambda=5000 A$ वाले प्रकाश के लिए किया जाता है। दो स्लियों के बीच की दूरी $0.2$ मिमी तथा स्क्रीन की दूरी $200$ सेमी है । केन्द्र से तीसरे उच्चतम की दूरी होगी.
एक कागज जिस पर दो निशान $d$ दूरी पर बने हैं एक व्यक्ति की दृष्टि की आँख के लेन्स का व्यास $2$ मिमी है। $d$ के किस न्यूनतम मान के लिए ये दोनों निशान अलग अलग दिखायी देगें? दृश्य प्रकाश की माध्य तरंग दैर्ध्य $5000 A$ है।
$5000 A$ वाले समान्तर एकवर्णी प्रकाश $0.001$ मीटर मोटाई की स्लिट पर लम्बवत डाला जाता है । प्रकाश को एक उत्तल लेंस के द्वारा एक स्क्रीन पर एकत्र किया जाता है। पहली निम्नतम के लिए विवर्तन कोण का मान होगाः
यंग के द्वि$-$झिरी प्रयोग में, पर्द् के किसी बिन्दु पर $\lambda$ पथान्तर होने से, वहां प्रकाश की तीव्रता $K$ है, $( \lambda$ प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य है$)$। पर्द के उस बिन्दु पर जहां पथान्तर $\lambda / 4$ है, तीव्रता होगी
यंग वु एक द्विझिरी प्रयोग में झिरियों $($स्लिटों$)$ के बीच की दूरी $2\ mm$ है। इनको $\lambda_1=12000 A$ तथा $\lambda_1=$ $10000 A$ तरंगदैर्ध्य के फोटॉनों से प्रदीप्त $($प्रकाशित$)$ किया गया है। यदि झिरियों से पर्दे की दूरी $2 m$ हो तो, केन्द्रीय दीप्त फ्रिंज के कितनी न्यूनतम दूरी पर, व्यतिकरण के उत्पन्न दोनों तरंगों की दीप्त फ्रिंजें संपाती $($एक दूसरे के ऊपर$)$ होगी?