यंग के द्वि$-$झिरी प्रयोग में, पर्द् के किसी बिन्दु पर $\lambda$ पथान्तर होने से, वहां प्रकाश की तीव्रता $K$ है, $( \lambda$ प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य है$)$। पर्द के उस बिन्दु पर जहां पथान्तर $\lambda / 4$ है, तीव्रता होगी
[2014]
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सम्पूर्ण तीव्रता के लिए,
$ I^{\prime}=3 I_0 \cos ^2 \frac{\phi}{2} \quad\left[\phi=\frac{2 \pi}{\lambda} \times \lambda\right] $
प्रथम चरण के लिए,
$ K =4 I _0 \cos ^2 \pi$
or, $K =4 I _0 $
द्वितीय चरण के लिए,
$ K ^{\prime}=4 I _0 \cos ^2\left(\frac{\frac{\pi}{2}}{2}\right)\left(\phi=\frac{2 \pi}{\lambda} \times \frac{\lambda}{4}\right)$
$=4 I _0 \cos ^2\left(\frac{\pi}{4}\right)$
$\therefore K ^{\prime}=2 I _0 $
समी $(i)$ तथा $(ii)$ की तुलना करने पर,
$ \therefore K ^{\prime}=\frac{ K }{2} $
अर्थात् उस बिन्दु पर जहाँ पथान्तर $\lambda / 4$ है, तीव्रता $K / 2$ होगी।
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एक कागज जिस पर दो निशान $d$ दूरी पर बने हैं एक व्यक्ति की दृष्टि की आँख के लेन्स का व्यास $2$ मिमी है। $d$ के किस न्यूनतम मान के लिए ये दोनों निशान अलग अलग दिखायी देगें? दृश्य प्रकाश की माध्य तरंग दैर्ध्य $5000 A$ है।
यंग के प्रयोग में दो कोहैरेन्ट स्रोत्र $0.90$ मिमी की दूरी पर रखे हैं । यदि ये दूसरी डार्क फ्रिंज 1 मीटर पर बनाते हों तो एकवर्णी प्रकाश की तरंग दैर्ध्य होगी :
एकला डिरी विवर्तन पैटर्न में, केन्द्रीय उच्चिप्ट के निकटवर्ती प्रथम निम्निप्ट पर, डििरी के किनारे तथा उसके मघ्य$-$बिन्दु से उत्पन्न हाइगेन्स-तरंगिकाओं के बीच कलान्तर होता है:
द्रुत वेग से चलती हुई इलेक्ट्रॉनों की एक समान्तर किरणपुंज, किसी पतली झिरी पर लम्बवत् आपतित है। इस झिरी से पर्याप्त दूरी पर एक प्रतिदीप्त पर्दा रखा है। यदि, इलेक्ट्रॉनों की चाल को बढ़ा दिया जाए तो, निम्नांकित में से कौन-सा कथन सत्य होगा ?