एक गैल्वेनोमीटर को एक एमीटर में बदलने हेतु हमे जोड़ना चाहिए
[1992]
Download our app for free and get started
(a) गैल्वेनोमीटर को एमीटर में बदलने हेतु एक कम प्रतिरोध समान्तर क्रम में लगाना होगा ताकि अधिकतम धारा शंट तार से गुजर सके और एमीटर बचा रहे।
Download our app
and get started for free
Experience the future of education. Simply download our apps or reach out to us for more information. Let's shape the future of learning together!No signup needed.*
एक तार का व्यास $0.5$ मिमी है। इसमें $1 A$ धारा प्रवाहित होती है। इसके एक दूसरे तार जिसका व्यास 1 मिमी है तथा इसमें भी $1 A$ धारा प्रवाहित होती है से बदल दिया जाता है। तो तार से कुछ दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र तीव्रता होगी-
एक धारावाही परिनालिका अपने अक्ष के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र $B$ उत्पन्न करती है। यदि धारा दोगुनी तथा फेरों की संख्या प्रति सेमी आधी कर दी जाए तो नया चुम्बकीय क्षेत्र होगा$-$
एक स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र $B =0.5 T$ तथा वैद्युत क्षेत्र $E =20$ वोल्ट/मी एक दूसरे के लम्बवत् लगते हैं। एक इलैक्ट्रॉन पुंज समान गति से इन क्षेत्रों में दोनों के लम्बवत् चलता है तो इलैक्ट्रॉन की वेग होगी
आयनों के द्रव्यमान मापने के लिये एक द्रव्यमान मापी स्पैक्ट्रोमीटर में आयनों को पहले वैद्युत विभव $V$ द्वारा त्वरित कर फिर चुम्बकीय क्षेत्र $B$ का प्रयोग कर $R$ त्रिज्या के अर्धवृत्तीय पथ पर चलाया जाता है। यदि $V$ और $B$ को स्थिरमानी रखा जाये तो अनुपात अनुपाती होगा-
दो कुण्डली 1 व 2 समान तार से बनी है। पहली की त्रिज्या दूसरी से दोगुनी है। कितना विभव दोनों पर लगाया जाए कि दोनों के केन्द्रों पर चुम्बकीय क्षेत्र तीव्रता समान हो?
किसी $R$ त्रिज्या के पतले छल्ले (रिंग) पर $q$ आवेश समानरूप से विस्तारित (फैला) है। यह छल्ला अपनी अक्ष के परितः एकसमान आवृत्ति $fHz$ से घूर्णन करता है। तो इसके केन्द्र पर चुम्बकीय-प्ररेण का मान होगा:
दो एक-जैसी कुंडलीयों की त्रिज्या $R$ है। इनको संकेन्द्रीय इस प्रकार रखा गया है कि उनके समतल, एक दूसरे के लम्बवत् हैं। उनसे प्रवाहित विद्युत धारायें क्रमशः I तथा $2 I$ हैं तो, केन्द्र पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र प्रेरण होगा: