एक स्टेप अप ट्रांसफार्मर $230 V$ पर काम करता है तथा धारा का मान $2 A$ है। प्राथमिक तथा द्वितीयक में फेरों की संख्या का अनुपात $1: 25$ है तो प्राथमिक में धारा का मान है
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एक श्रेणी $R-C$ परिपथ किसी प्रत्यावर्ती वोल्टता के स्त्रोत से जुड़ा है। दो स्तिथियों $(a)$ तथा $(b)$ पर विचार कीजिए $(a)$ जब संधारित्र वायु भरा है। $(b)$ जब, संधारित्र माइका भरा है। इस परिपथ में प्रतिरोधक से प्रवाहित विद्युत धारा $i$ है तथा संधारित्र के सिरों के बीच विभवान्तर $V$ है तो
किसी $ac$ परिपथ में एक प्रत्यावर्ती वोल्टता, $e =200 \sqrt{2}$ $\sin 100 t$ वोल्ट, को $1 \mu F$ धारिता के एक संधारित्र से जोड़ा गया है। इस परिपथ में विद्युत धारा का वर्ग-माध्य मूल मान होगा:
एक ट्रांसफार्मर के प्राथमिक और द्वितीयक कुण्डलियों में फेरों की संख्याएँ क्रमानुसार 50 और 1500 हैं। प्राथमिक कुण्डली से सम्बन्धित चुम्बकीय फ्लक्स $\phi=\phi_0+4 t$, द्वारा व्यक्त होती है जबकि $\phi$ वेबर में है, समय $t$ सेकेण्ड में है और $\phi_0$ एक नियतांक है। द्वितीय कुण्डली से प्राप्त वोल्टता होगी-
एक परिपथ में $X _{ L }=31 \Omega, R =8 \Omega, X _{ C }=25 \Omega$ श्रेणी क्रम में लगाये गये हैं। इन्हें $110 V$ a.c. के साथ जोड़ा गया है। शक्ति-घटक होगा :
एक विद्युत परिपथ में $R, L, C$ तथा एक ए. सी. वोल्टता स्त्रोत सभी श्रेणी क्रम में जुड़े हैं। परिपथ में से $L$ को हटा देने से वोल्टता तथा विद्युत धारा के बीच कलान्तर $\pi / 3$ हो जाता है, यदि इसके बजाय $C$ को परिपथ से हटा दिया जाये तो, यह कलान्तर फिर भी $\pi / 3$ रहता है। परिपथ का शक्ति गुणांक है :
एक ट्रान्सफॉर्मर को $220 V$ का निवेश दिया गया है। निर्गत परिपथ में $440$ वोल्ट पर $2.0 A$ की धारा प्रवाहित होती है। यदि ट्रांन्सफॉमर की दक्षता $80 \%$ हो तो ट्रान्सफार्मर की प्राथमिक कुंडली द्वारा ली गई विद्युतधारा है