एक ट्रांसफार्मर के प्राथमिक और द्वितीयक कुण्डलियों में फेरों की संख्याएँ क्रमानुसार 50 और 1500 हैं। प्राथमिक कुण्डली से सम्बन्धित चुम्बकीय फ्लक्स $\phi=\phi_0+4 t$, द्वारा व्यक्त होती है जबकि $\phi$ वेबर में है, समय $t$ सेकेण्ड में है और $\phi_0$ एक नियतांक है। द्वितीय कुण्डली से प्राप्त वोल्टता होगी-
[2007]
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ट्राँसफॉर्मर के प्राथमिकी से जुड़ा फ्लक्स,
$ \phi=\phi_0+4 t $
$\therefore$ प्राथमिकी वोल्टेज, $V _{ p }=\frac{ d \phi}{ dt }$
$ =\frac{ d }{ dt }\left(\phi_0+4 t \right)$
$=4 $
$ now, \frac{V_p}{V_s}=\frac{N_p}{N_s}$
$V_s=\frac{N_s}{N_p} \times V_p$
$=\frac{1500}{50} \times 4=120 V $
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दिये गये परिपथ में प्रेरण $L$ तथा संधारित्र $C$ के साथ $A _1$ तथा $A _2$ दो अमीटर जोड़े गये हैं। यदि कुंजी $K$ दबा दी जाए तो तुरन्त $A _1$ तथा $A _2$ का पाठ्यांक होगा:
$100 W$ और $110 V$ के एक बल्ब को $220 V$ की सप्लाई से प्रदीप्त करने के लिए एक ट्रांसफार्मर का प्रयोग किया गया है। यदि सप्लाई का धारा मान $0.5$ ऐम्पियर हो तो ट्रांसफार्मर की दक्षता होगी, लगभग
किसी कुण्डली का प्रतिरोध $30$ ओम है तथा $50$ हर्ट्ज आवृत्ति पर प्रेरकीय प्रतिघात $20$ ओम है। यदि कुण्डली के दोनों सिरों के बीच $200$ वोल्ट, $100$ हर्ट्ज का प्रत्यावर्ती धारा का स्रोत जोड़ा जाता है, तो धारा का मान होगा:
एक परिपथ में $X _{ L }=31 \Omega, R =8 \Omega, X _{ C }=25 \Omega$ श्रेणी क्रम में लगाये गये हैं। इन्हें $110 V$ a.c. के साथ जोड़ा गया है। शक्ति-घटक होगा :
एक ट्रान्सफॉर्मर को $220 V$ का निवेश दिया गया है। निर्गत परिपथ में $440$ वोल्ट पर $2.0 A$ की धारा प्रवाहित होती है। यदि ट्रांन्सफॉमर की दक्षता $80 \%$ हो तो ट्रान्सफार्मर की प्राथमिक कुंडली द्वारा ली गई विद्युतधारा है
एक स्टेप अप ट्रांसफार्मर $230 V$ पर काम करता है तथा धारा का मान $2 A$ है। प्राथमिक तथा द्वितीयक में फेरों की संख्या का अनुपात $1: 25$ है तो प्राथमिक में धारा का मान है
एक कुंडली का स्व-प्रेरकत्व $L$ है। यह श्रेणी क्रम मे एक विद्युतबल्ब $B$ तथा एक ए.सी. (A.C.) स्रोत से जुड़ी है। इस बल्ब के प्रकाश की दीप्ति (तीव्रता) कम हो जायेगी, जब