' $f_1$ ' फोकस दूरी का एक अवतल दर्पण, ' $f_2$ ' फोकस दूरी के एक उत्तल लेंस से $d$ दूरी पर रखा गया है। अनन्त से आता हुआ एक किरण पुंज, उत्तल लेंस तथा अवतल दर्पण के इस संयोजन पर टकराता है और अपने मार्ग पर अनन्त को वापस हो जाता है तो, दूरी ' $d$ ' का मान होगा :
[2012]
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(c)
$d=f_1+2 f_2$
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हरें रंग का प्रकाश $(\lambda=5460 A)$ का हवा-कांच के समतल पर पड़ता है। कांच का अपवर्तनांक $1.5$ है प्रकाश की कांच में तरंग दैर्ध्य होगी ( $c=3 \times 10^8$ मी/सेकंड)
सामान्य नेत्त्र में कौर्निया $($स्वच्छ मंडल$)$ की अभिसारी शक्ति $40 D$ है तथा कार्निया के पीछे नेत्र लेंस की न्यूनतम अभिसारी शक्ति $20 D$ है। इस सूचना से नेत्र के रेटिना $($दृष्टिपटल$)$ तथा लेन्स के बीच की अनुमानित दूरी होगी:
एक प्रिज्म का अपवर्तनांक $\sqrt{2}$ तथा आपतन कोण $30^{\circ}$ है। एक समतल को पोलिश कर दिया गया। एक वर्णी प्रकाश तरंग अपने पथ को वापस पार करती है यदि आपतन कोण का मान होगा :
एक प्रकाश किरणपूंज, लाल, हरे तथा नीले रंगों से बना है। यड किरणपुंज किसी समकोणी प्रिज्म पर आपतित होता है $($ आरेख देखिये $)$ प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक, लाल, हरे, व नीले रंग के लिये क्रमश: $1.39$, $1.44$ तथा $1.47$ है, तो यह प्रिज्म:
किसी द्रव से भरे एक बीकर के तल पर एक लघु सिक्का रखा गया है। चित्र के अनुसार एक प्रकाश किरण सिक्के से आरम्भ होकर द्रव के ऊपरी तल तक पहुँच कर तल के समांतर चलती है।
इस द्रव में प्रकाश चलन का वेग कितना होगा?
$f$ फोकस दूरी और $d$ व्यास के द्वारक वाला एक लैंस, तीव्रता $I$ का एक प्रतिबिम्ब बनता है। लेंस के केन्द्रीय भाग में $\frac{d}{2}$ व्यास के द्वारक को काले कागज से ढक दिया जाता है। लेंस की फोकस दूरी तथा प्रतिबिम्ब की तीव्रता अब क्रमशः होगी