सामान्य नेत्त्र में कौर्निया $($स्वच्छ मंडल$)$ की अभिसारी शक्ति $40 D$ है तथा कार्निया के पीछे नेत्र लेंस की न्यूनतम अभिसारी शक्ति $20 D$ है। इस सूचना से नेत्र के रेटिना $($दृष्टिपटल$)$ तथा लेन्स के बीच की अनुमानित दूरी होगी:
[2013]
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$ \frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{\frac{1}{40}}=\frac{1}{u}$
$\Rightarrow u=\frac{1}{40} m =2.5 \ cm $
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एक पतले समतलोत्तल लैंस की वक्रता त्रिज्या 10 सेमी तथा अपवर्तनांक $1.5$ है। यदि समतल पृष्ठ को पोलिश कर दिया जाए तो यह अवतल दर्पण का काम करेगा। इसकी फोकस दूरी है:
सामान्य समायोजन की स्थिति में, किसी खगोलीय दूरदर्शक के अभिदश्यक लेंस के भीतरी भाग पर $L$ लम्बार्ई के एक काली सरता रेखा खिची गर्ई है। नेत्रिका इस सरल रेखा का वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाती है। प्रतिबिम्ब की लम्बाई $l$ है तो दूरदर्शक का आवर्थन है :
अपवर्तनांक $\mu$ के एक पारदर्शी माध्यम से चलती हुई प्रकाश की एक किरण, इस माध्यम और वायु को पृथक करने वाली सतह पर $45^{\circ}$ के कोण पर टकराती है। अपवर्तनांक $\mu$ के किस मान के लिए इस किरण का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जायेगा?
एक विद्युत चुम्बकीय तरंगों की आवृत्ति, $n$ तथा तरंग दैर्ध्य $\lambda$ है । यह हवा में $v$ वेग से चलता हुआ $\mu$ अपवर्तनांक वाले काँच में जाता है। कांच में इसकी आवृत्ति, तरंगदैधर्य तथा वेग ज्ञात करो
काँच के किसी पतले प्रिज्म का कोण $15^{\circ}$ है और उसका अपवर्तनांक $\mu_1=1.5$ है। इसका $\mu_2=1.75$ अपवर्तनांक के किसी अन्य प्रिज्म से संयुक्त किया गया है। इनसे बने प्रिज्मों के संयोजन से विचलन बिना परिक्षेपण प्राप्त होता है। तो दूसरे प्रिज्म का कोण होना चाहिये:
जब $1.47$ अपवर्तनांक के कॉंच के किसी उभयोत्तल लैंस को किसी द्रव में डुबाया जाता है तो, यह एक समतल शीट $($ परत $)$ की भॉंति व्यवहार करता है। इसका तात्पर्य यह है कि द्रव का अपवर्तनांक हैः