(d) फेफड़ों की जैव धारिता अधिकतम संभव प्रश्वसन के पश्चात अधिकतम संभव नि:श्वसन है। यह वायु का एक श्वसन में विनिमय किया आयतन अथवा अधिकतम चेष्टा द्वारा साँस में भीतर ली गई और बाहर फेंकी गई वायु का आयतन है। जैव धारिता $=$ प्रश्वसन निचय आयतन $+$ प्रवाही आयतन + नि:श्वसन निचय आयतन $\begin{aligned} & =3000+500+1100 \\ & =4600 \text { मिली } \end{aligned}$
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एक रोगी में हृदय पेसमेकर (गति प्रेरक) सही प्रकार से कार्य नहीं करता है। डॉक्टर उसमें कृत्रिम गति-प्रेरक रोपित कर देते हैं। इसको रोपित करने का सम्भावित स्थल होगा