जब $1.47$ अपवर्तनांक के कॉंच के किसी उभयोत्तल लैंस को किसी द्रव में डुबाया जाता है तो, यह एक समतल शीट $($ परत $)$ की भॉंति व्यवहार करता है। इसका तात्पर्य यह है कि द्रव का अपवर्तनांक हैः
[2012]
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$ \frac{1}{f}=\left(\frac{\mu_g}{\mu_m}-1\right)\left(\frac{1}{R_1}-\frac{1}{R_2}\right)$
$\mu_g=\mu_m \text {, तब } \frac{1}{f}=(1-1)\left(\frac{1}{R_1}-\frac{1}{R_2}\right)$
$\Rightarrow \frac{1}{f}=0$
$f=\frac{1}{0}=\infty $
यह दर्शाता है कि द्रव का अपवर्त्तनांक काँच के अपवर्त्तनांक के बराबर है।
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प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक $\sqrt{2}$ तथा इसका अपवर्तन कोण $30^{\circ}$ है। प्रिज्म के अपवर्तक पृष्ठों में से किसी एक पृष्ठ को अन्दर की ओर दर्पणनुमा बनाया जाता है। दूसरे पृष्ठ पर आपतित एकवर्णी प्रकाश पुँज दर्पण से परावर्तित होकर अपने ही मार्ग से वापिस लौट आएगा यदि प्रिज्म पर आपतन कोण है:
एक पतले समतलोत्तल लैंस की वक्रता त्रिज्या 10 सेमी तथा अपवर्तनांक $1.5$ है। यदि समतल पृष्ठ को पोलिश कर दिया जाए तो यह अवतल दर्पण का काम करेगा। इसकी फोकस दूरी है:
प्रकाश की एक किरण, किसी प्रिज्म जिसका कोण $A$ है के एक फलक पर $i$ कोण पर आपत्तित होती है तथा उसके विपरीत फलक से उसके लम्बवत् निर्गत होती है। यदि प्रिज्म का अपवर्तनांक $\mu$ है तो, आपतन कोण $i$ का मान लगभग बराबर है :
एक समतल उत्तल और एक समतल अवतल लेंस एक दूसरे के ऊपर पूर्णतः ठीक बैठ जाते हैं। उनके समतल पृष्ठ आपस में समान्तर हैं। यदि इन लेंसों के पदार्थां के अपवर्तनांक $\mu_1$ और $\mu_2$ हैं तथा दोनों के वक्र पृष्ठों $($ तलों $)$ की वक्रता त्रिज्या $R$ है तो इनके संयोजन की फोकस दूरी होगी :
प्रकाश का एक अभिसारी किरण पुंज किसी अपसारी लेंस पर आपतित होता है। लेंस से गुजरने के पश्चात, प्रकाश की किरणें लेंस के दूसरी ओर, उससे $15 \ cm$ दूरी पर, एक दूसरे का प्रतिच्छेदन करती है $($ काटती $)$ है। यदि लेंस को हटा दिया जाये तो किरणों का प्रतिच्छेदन बिन्दु, लेंस से $5 \ cm$ और पास (समीप) हो जाता है। तो, लेंस की फोकस दूरी है:
एक प्रिज्म का अपवर्तनांक $\sqrt{2}$ तथा आपतन कोण $30^{\circ}$ है। एक समतल को पोलिश कर दिया गया। एक वर्णी प्रकाश तरंग अपने पथ को वापस पार करती है यदि आपतन कोण का मान होगा :
लाल तथा हरी किरणों से बना हुआ एक प्रकाश पुँज आयताकार काँच की पट्टिका के पृष्ठ पर स्थित एक बिन्दु पर त्रिर्यक रूप से आपतित होता है। जब प्रकाश पुँज विपरीत समान्तर पृष्ठ पर आता है, तो लाल तथा हरी किरणें: