एक समतल उत्तल और एक समतल अवतल लेंस एक दूसरे के ऊपर पूर्णतः ठीक बैठ जाते हैं। उनके समतल पृष्ठ आपस में समान्तर हैं। यदि इन लेंसों के पदार्थां के अपवर्तनांक $\mu_1$ और $\mu_2$ हैं तथा दोनों के वक्र पृष्ठों $($ तलों $)$ की वक्रता त्रिज्या $R$ है तो इनके संयोजन की फोकस दूरी होगी :
[2013]
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$\frac{1}{f}=\frac{1}{f_1}+\frac{1}{f_2}$
$=\left(\mu_1-1\right)\left(\frac{1}{\infty}-\frac{1}{-R}\right)+\left(\mu_2-1\right)\left(\frac{1}{\infty}-\frac{1}{R}\right)$
$ =\frac{\left(\mu_1-1\right)}{R}-\frac{\left(\mu_2-1\right)}{ R }$
$\Rightarrow \frac{1}{ f }=\frac{\mu_1-\mu_2}{ R }$
$\Rightarrow f =\frac{ R }{\mu_1-\mu_2} $
यह संयोजन की फोकस दूरी है।
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अपवर्तनांक $\mu$ के एक पारदर्शी माध्यम से चलती हुई प्रकाश की एक किरण, इस माध्यम और वायु को पृथक करने वाली सतह पर $45^{\circ}$ के कोण पर टकराती है। अपवर्तनांक $\mu$ के किस मान के लिए इस किरण का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जायेगा?
दो माध्यमों $M_1$ और $M_2$ में प्रकाश की चाल क्रमशः $1.5 \times 10^8 m / s$ और $2.0 \times 10^8 m / s$ है। प्रकाश की एक किरण माध्यम $M_1$ से $M_2$ में $i$ आपतन कोण पर प्रवेश करती है। यदि इस किरण का पूर्ण आतंरिक परावर्तन हो जाता है तो, ' $i$ ' का मान है
सामान्य नेत्त्र में कौर्निया $($स्वच्छ मंडल$)$ की अभिसारी शक्ति $40 D$ है तथा कार्निया के पीछे नेत्र लेंस की न्यूनतम अभिसारी शक्ति $20 D$ है। इस सूचना से नेत्र के रेटिना $($दृष्टिपटल$)$ तथा लेन्स के बीच की अनुमानित दूरी होगी:
काँच के किसी पतले प्रिज्म का कोण $15^{\circ}$ है और उसका अपवर्तनांक $\mu_1=1.5$ है। इसका $\mu_2=1.75$ अपवर्तनांक के किसी अन्य प्रिज्म से संयुक्त किया गया है। इनसे बने प्रिज्मों के संयोजन से विचलन बिना परिक्षेपण प्राप्त होता है। तो दूसरे प्रिज्म का कोण होना चाहिये:
प्रिज्म के किसी अपवर्तक पृप्ठ पर किसी प्रकाश किरण के लिए आपतन कोण का मान $45^{\circ}$ है। प्रिज्म कोण का मान $60^{\circ}$ है। यदि यड किरण प्रिज्म से न्यूनतम विचतित होती है, तो न्यूनतम विचलन कोण तथा प्रिज्म के प्रदार्थ का अपवर्त्तनांक क्रमश: हैः