(1) व्यापारी उन्हें अधिक कीमत पर अपना सामान देते थे जबकि उनसे उनका सामान सस्ती दरों पर प्राप्त करते थे।
(2) सूदखोर महाजन लोग उन्हें ऊँची ब्याज दरों पर ऋण देते थे।
(3) इसके कारण ये लोग कर्ज एवं गरीबी के दलदल में फँस जाते थे। इसी कारण वे व्यापारियों एवं महाजनों को अपनी मुसीबत की जड़ समझते थे।