जनजातीय समाज के लोगों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति जंगलों से हो जाती थी। जैसे जलावन के लिए लकड़ियाँ, भोजन के लिए कंद-मूल, फल, शहद आदि या फिर जड़ीबूटियां उन्हें आसानी से जंगल से मिल जाती थीं। वे पशुपालन भी करते थे। जिनका चारा भी उन्हें जंगलों से मिल जाता था। घर बनाने के लिए लकड़ियां भी जंगल से मिल जाती थी। शहद, जडी-बूटियां, फल भी उन्हें जंगल से मिल जाते थे। हिरण. तीतर तथा अन्य पक्षियों का शिकार भोजन के लिए करते थे जो उन्हें जंगल से ही मिल जाते थे।
उनके उद्योग धंधे भी जंगलों पर ही आधारित थे। हाथी दांत, बांस तथा कुछ धातुओं पर की गई उनकी कलाकारी दूसरे समाजों में काफी पसंद की – जाती थी। वे रबर, गोंद आदि का भी व्यापार करते थे।
बाद में उन्होंने लाख और रेशम उद्योगों को भी अपनाया। ये सारी चीजें उन्हें जंगल से मिल जाती थीं । अतः जनजातीय समाज के उद्योग को विकसित करने में भी जंगल की उनके लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।