जॉलवेराइन की स्थापना की परिस्थितियाँ-नेपोलियन बोनापार्ट ने 39 जर्मन राज्यों के एक महासंघ का निर्माण किया था। इनमें से प्रत्येक राज्य की अपनी मुद्रा और नाप-तौल प्रणाली थी। 1833 में हैम्बर्ग से न्यूरेम्बर्ग जाकर अपना माल बेचने वाले एक व्यापारी को ग्यारह सीमा शुल्क नाकों से गुजरना पड़ता था और हर बार लगभग 5% सीमा शुल्क देना पड़ता था। ये परिस्थितियाँ आर्थिक विनिमय और विकास में बाधक थीं।
1834 में प्रशा की पहल पर 'जॉलवेराइन' नामक एक शुल्क संघ की स्थापना हुई जिसमें अधिकांश जर्मन-राज्य सम्मिलित हो गए थे। इस संघ ने आर्थिक अवरोधों को समाप्त कर दिया और मुद्राओं की संख्या दो कर दी जो उससे पहले 30 से ऊपर थी। इससे आर्थिक दृष्टि से समस्त जर्मनी एक हो गया।