कार्यहीन तथा कार्यकारी धारा में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
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जब किसी प्रतिबाधा वाले परिपथ पर प्रत्यावर्ती विभव लगाया जाता है तब परिपथ में से गुजरने वाली प्रत्यावर्ती धारा और परिपथ पर लगाये गये प्रत्यावर्ती विभव के बीच में कलान्तर होता है। यदि प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान $I_{ rms }$ हो और प्रत्यावर्ती विभव और धारा के बीच कलान्तर के हो तब प्रत्यावर्ती धारा के विभव की दिशा और विभव के लम्बवत् दो घटक क्रमशः $I _{ rms } \cos \phi$ व $I _{ rms }$$\sin \phi$ होंगे। प्रत्यावर्ती धारा का वह घटक जो प्रत्यावर्ती विभव की दिशा में, यानी $I _{ rms } \cos \phi$ परिपथ में से गुजरने में कार्य करता है। इस घटक को कार्यकारी धारा कहते हैं। प्रत्यावर्ती धारा का वह घटक जो परिपथ पर लगाये गये प्रत्यावर्ती विभव के लम्बवत् होता है, यानी $I _{ rms } \sin \phi$ वह परिपथ में • से गुजरने में उसे कोई कार्य नहीं करना पड़ता है। इसलिये धारा के इस घटक को कार्यहीन धारा कहते हैं।
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एक प्रत्यावर्ती धारा जनित्र $3$ मी$^2.$ अनुप्रस्थ काट के $2$ क्षेत्रफल तथा $100$ फेरों वाली कुण्डली से बना है। जो $0.04$ टेसला के चुम्बकीय क्षेत्र में $60$ रेडियन/से. के नियत कोणीय वेग से घुमायी जा रही है। कुण्डली का प्रतिरोध $500$ ओम है। गणना कीजिये$- (i)$ जनित्र से प्राप्त अधिकतम धारा $(ii)$ कुण्डली में व्यय हुई अधिकतम शक्ति
चित्र में प्रेरक L तथा प्रतिरोध R के सिरों के बीच वोल्टता क्रमशः 120 वोल्ट तथा 90 वोल्ट है तथा धारा का वर्ग-माध्य-मूल मान 3A है। गणना कीजिये- (i) परिपथ प्रतिबाधा (ii) वोल्टता तथा धारा के बीच कलान्तर।
एक प्रत्यावर्ती परिपथ में एक कुण्डली का $60$ हर्ट्ज आवृत्ति पर शक्ति गुणांक $0.707$ है। यदि प्रत्यावर्ती स्रोत की आवृत्ति $120$ हर्ट्ज हो जाये, तो शक्ति गुणांक क्या होगा$?$