सिद्ध कीजिए कि एक पूरे चक्र में प्रेरक को आपूर्त माध्य शक्ति शून्य होती है।
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औसत शक्ति-शुद्ध प्रेरकत्व युक्त परिपथ की तात्क्षणिक शक्ति P=Ex I $= E _0 \sin \omega t \times I _0 \sin \left(\omega t -\frac{\pi}{2}\right)$ $= E _0 \sin \omega t \times\left\{- I _0 \cos \omega t \right\}$ $\because \sin \left(\theta-90^{\circ}\right)=-\cos \theta$ $=- E _0 I _0 \sin \omega t \cos \omega t$ या $P=\frac{-E_0 I_0}{2} \times 2 \sin \omega t \cos \omega t$ $=-\frac{E_0 I_0}{2} \times \sin 2 \omega t$ $[\because \sin 2 A=2 \sin A \cos A ]$ एक पूर्ण चक्र में $\sin 2 \omega t$ का औसत मान शून्य होता है, अर्थात् $\overline{\sin 2 \omega t }=\frac{\int_0^{ T } \sin 2 \omega t d t}{\int_0^{ T } dt }=0$ इसलिये एक पूरे चक्र में परिपथ की औसत शक्ति $P=\frac{E_0 I_0}{2} \times 0=0$ अतः एक पूर्ण चक्र में किसी प्रेरकत्व की आपूर्त (Supplied) औसत शक्ति शून्य होती है।
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$\text{LCR}$ श्रेणी अनुनादी परिपथ में प्रत्यावर्ती धारा का आवृत्ति के साथ परिवर्तन दर्शाने वाला वक्र चीचिए तथा बैण्ड चौड़ाई के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
एक $12 \Omega$ का प्रतिरोध, एक $14 \Omega$ प्रतिघात का संधारित्र तथा 0.1 हेनरी प्रेरकत्व का एक शुद्ध प्रेरक श्रेणीक्रम में जोड़े गये हैं तथा इससे 200 V, 50 Hz की प्रत्यावर्ती धारा जोड़ दी गयी है। गणना कीजिये (i) परिपथ में धारा, (ii) धारा तथा वोल्टता के बीच कला कोण (𝝅 = 3 लीजिये)।
एक विद्युत बल्ब पर $220\ V$ आपूर्ति एवं $100$ वाट शक्ति अंकित है, तो
$(a)$ बल्ब का प्रतिरोध
$(b)$ स्रोत की शिखर वोल्टता एवं
$(c)$ बल्ब में प्रवाहित होने वाली $r.m.s.$ धारा।
एक प्रत्यावर्ती धारा जनित्र $3$ मी$^2.$ अनुप्रस्थ काट के $2$ क्षेत्रफल तथा $100$ फेरों वाली कुण्डली से बना है। जो $0.04$ टेसला के चुम्बकीय क्षेत्र में $60$ रेडियन/से. के नियत कोणीय वेग से घुमायी जा रही है। कुण्डली का प्रतिरोध $500$ ओम है। गणना कीजिये$- (i)$ जनित्र से प्राप्त अधिकतम धारा $(ii)$ कुण्डली में व्यय हुई अधिकतम शक्ति
एक प्रत्यावर्ती परिपथ में एक कुण्डली का $60$ हर्ट्ज आवृत्ति पर शक्ति गुणांक $0.707$ है। यदि प्रत्यावर्ती स्रोत की आवृत्ति $120$ हर्ट्ज हो जाये, तो शक्ति गुणांक क्या होगा$?$
चित्र में प्रेरक L तथा प्रतिरोध R के सिरों के बीच वोल्टता क्रमशः 120 वोल्ट तथा 90 वोल्ट है तथा धारा का वर्ग-माध्य-मूल मान 3A है। गणना कीजिये- (i) परिपथ प्रतिबाधा (ii) वोल्टता तथा धारा के बीच कलान्तर।