220 V की प्रत्यावर्ती धारा 220 V दिष्ट धारा की तुलना में अधिक खतरनाक क्यों है?
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हमारे घरों में प्रायः 220 वोल्ट पर प्रत्यावर्ती धारा बहती है। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रत्यावर्ती वोल्टेज का वर्ग-माध्य-मूल मान 220 वोल्ट होता है। अतः इसका शिखर मान होगा, या $\begin{aligned} E _0 & =\sqrt{2} \times E _{ rms } \\ & =\sqrt{2} \times 220=1.414 \times 220 \\ E _0 & =311 \text { वोल्ट }\end{aligned}$ इस प्रकार कहा जा सकता है कि घरों में बहने वाली प्रत्यावर्ती धारा का वोल्टेज प्रत्येक चक्र में +311 वोल्ट से लेकर-311 वोल्ट तक परिवर्तित होता रहता है। (एक चक्र में प्रत्यावर्ती वोल्टेज में होने वाला अधिकतम परिवर्तन 6.22 वोल्ट होता है।) यही कारण है कि 220 वोल्ट की प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) 220 वोल्ट की दिष्ट धारा (D.C.) से अधिक खतरनाक है।
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एक $12 \Omega$ का प्रतिरोध, एक $14 \Omega$ प्रतिघात का संधारित्र तथा 0.1 हेनरी प्रेरकत्व का एक शुद्ध प्रेरक श्रेणीक्रम में जोड़े गये हैं तथा इससे 200 V, 50 Hz की प्रत्यावर्ती धारा जोड़ दी गयी है। गणना कीजिये (i) परिपथ में धारा, (ii) धारा तथा वोल्टता के बीच कला कोण (𝝅 = 3 लीजिये)।
एक प्रत्यावर्ती धारा जनित्र $3$ मी$^2.$ अनुप्रस्थ काट के $2$ क्षेत्रफल तथा $100$ फेरों वाली कुण्डली से बना है। जो $0.04$ टेसला के चुम्बकीय क्षेत्र में $60$ रेडियन/से. के नियत कोणीय वेग से घुमायी जा रही है। कुण्डली का प्रतिरोध $500$ ओम है। गणना कीजिये$- (i)$ जनित्र से प्राप्त अधिकतम धारा $(ii)$ कुण्डली में व्यय हुई अधिकतम शक्ति