किसी चुम्बकीय क्षेत्र में समान्तर लटकी चुम्बकीय सुई को $60^{\circ}$ घुमाने के लिये $\sqrt{3} J$ कार्य की आवश्यकता होती है तो, इस सुई को उसी स्थिति में बनाये रखने के लिये आवश्यक बल$-$आघूर्ण $($टॉर्क$)$ का मान होगा:
[2012 M]
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$(b)$ कार्य ऊर्जा प्रमेय के अनुसार
$ W=U_{}-U_{}=M B\left(\cos 0-\cos 60^{\circ}\right)$
$W=\frac{M B}{2}=\sqrt{3} J$
$\tau=\vec{M} \times \vec{B}=M B \sin 60^{\circ}=\left(\frac{M B \sqrt{3}}{2}\right) \ldots \text { (ii) } $
समीकरण $(i)$ और $(ii)$ से
$ \tau=\frac{2 \sqrt{3} \times \sqrt{3}}{2}=3 J $
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चुम्बकीय आघूर्ण $0.4 J T ^{-1}$ के एक छोटे (दंड) चुम्बक को किसी ऐसे एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है जिसकी तीव्रता $0.16 T$ है। यह चुम्बक स्थिर संतुलन में होगा। यदि इसकी स्थितिज ऊर्जा हो:
एक समबाहु त्रिभुज के आकार की कॉयल $($ भुजा $=i )$ को चुम्बक के ध्रुवों के बीच लटकाया गया। चुम्बकीय क्षेत्र $\overrightarrow{ B }$ कायॅल के समतल में है। कायॅल में धारा का मान $i$ हो तो आघूर्ण $(\tau)$ होगा
दो सर्वसम (समरूप) छड़ चुम्बकों को इस प्रकार स्थिर किया गया है कि उनके केन्द्र $d$ दूरी पर हैं। चित्र में दिखाये गये अनुसार दोनों चुम्बकों के बीच के खाली स्थान के मध्य बिन्दु $O$ से, $D$ दूरी पर, बिन्दु $P$ पर एक आवेश $Q$ रखा है। $Q$ आवेश पर बल है
एक छड़ (दंड) चुम्बक की लम्बाई ' 1 ' है और इसका चुम्बकीय द्विध्रुव बल-आघूर्ण ' $M$ ' है। यदि इसे आरेख (चित्र) में दिये गये अनुसार एक चाप के आकार में मोड़ दिया जाय तो, इसका नया चुम्बकीय द्विध्रुव बलआघूर्ण होगा: