मैं तो जन्म से ही हिन्दू और मुसलमानों को साथ-साथ रहते हुए देखा है। हमने देखा ही नहीं है, बल्कि साथ-साथ रहे भी हैं और आज भी साथ-साथ रह रहे हैं। अभी का आर्थिक जीवन इतना पेचिदा हो गया है कि बिना एक-दूसरे का सहयोग लिये हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते। हम सभी साथ-साथ है । कभी-कभी कुछ राजनीतिक कारणों से विभेद-सा लगता है, हे अन्दर से सभी साथ-साथ हैं । कुछ राजनीतिक दल तो ऐसेहैं जो एक होने ही नहीं देना चाहते हैं ? सदैव लड़ाते रहना चाहते हैं । वे यही दिखाने में मशगूल रहते हैं कि कौन पार्टी कितना मुसलमानों की हितैषी है। लेकिन इस धूर्तता को मुसलमान भी समझ गये हैं । इसका उदाहरण अभी बिहार और गुजरात है। अब राजनीतिक आधार पर वोट पड़ने लगे हैं । ध म और जाति के आधार पर नहीं ।