लैंगिक प्रजनन में पहला चरण युग्मनज निर्माण है। युग्मनज निर्माण के दौरान गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। इसके परिणामस्वरूप युग्मनज में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। क्योंकि निषेचन क्रिया के दौरान दोनों (नर तथा मादा) युग्मक संलयित होते हैं, संतति में गूणसुत्रों की मूल संख्या नियत (जनकों के समान) रहती है। इससे प्रदर्शित होता है कि लैंगिक विधि से जनन करने वाले जीवों की संतति और जनकों में गुणसूत्र समान संख्या में होते हैं।