तत्कालीन बंगाल के उत्तर-पश्चिमी प्रांतों के लिए होल्ट मैकेंजी नामक अंग्रेज ने एक नयी व्यवस्था तैयार की जिसे 1822 में लागू किया गया। इस व्यवस्था को महालवारी बन्दोबस्त कहा गया। इसके मुख्य पहलू निम्न प्रकार हैं-
(1) इस व्यवस्था के तहत गाँव अथवा ग्राम समूह (महाल) को एक राजस्व इकाई माना गया था।
(2) इस व्यवस्था में भूमि की जाँच की जाती थी, खेतों को मापा जाता था, स्थानीय समुदायों एवं वर्गों के अधिकार एवं रीति-रिवाजों का रिकॉर्ड तैयार किया जाता था। इसके पश्चात् गाँवों के सभी जमीन के टुकड़ों के राजस्व को जोड़कर पूरे गाँव के लिए राजस्व निर्धारित कर दिया जाता था।
(3) यह राजस्व स्थायी रूप से तय नहीं था बल्कि उसमें समय-समय पर संशोधनों की गुंजाइश रखी गई।
(4) राजस्व वसूली की जवाबदेही जमींदार के बजाय गाँव के मुखिया के ऊपर होती थी।