छापेखाने के आविष्कार के कारण बड़े पैमाने पर पुस्तकें छपने लगीं। छपाई से पुस्तकों की कीमतें गिरी। बाजारों में पुस्तकों की उपलब्धता बढ़ गई तथा पाठक वर्ग भी बढ़ गया। यही मुद्रण क्रान्ति कहलाती है। इससे लोक चेतना बदल गई तथा चीजों को देखने का दृष्टिकोण भी बदल गया।