निषेचन-पश्च घटना - निषेचन के पश्चात पुष्प के बाह्मदल, दल, पुमंग व वर्तिका नष्ट होकर गिर जाते है। बीजाण्ड परिपक्व होकर बीज मे तथा अण्डाशय फल में विकसित होता है ये समस्त घटनाएँ निषेचन पश्च घटनाएँ कहलाती है।
भ्रूणपोष (Endosperm)
भ्रूणपोष एक पोषक ऊतक है जिसका निर्माण पुष्पीय पादपों में निषेचन के पश्चात होता है। भ्रूणपोष भ्रूण के विकास व बीज अंकुरण के समय उपयोग में आता है। विकास के आधार पर भ्रूणपोष तीन प्रकार का होता है।
(1) केन्द्रकीय भ्रूणपोष (Nuclear endosperm) : इसमें भ्रूणपोष केन्द्रक
का बार-बार विभाजन द्वारा अनेक केन्द्रक बन जाते हैं, किन्तु भित्ति का निर्माण नहीं होता। इस विभाजन को स्वतंत्र नाभिक विभाजन (free nuclear division) कहते हैं। ये केन्द्रक भ्रूणपोष की परिधि की ओर विन्यासित हो जाते हैं तथा केन्द्र में एक बड़ी रिद्धिका (vacuole) बन जाती है। कुछ समय के पश्चात भित्ति निर्माण से कोशिकीय बन जाती है। यही भोज्य पदार्थ ऊतक अर्थात् भ्रूणपोष होता है। नारियल में दूध की तरह जलयुक्त भ्रूणपोष होता है। यह सामान्य प्रकार का भ्रूणपोष है जो आवृतबीजी के पोलीपेटेली (polypetalae) वर्ग व एकबीजपत्री पादपों में पाया जाता है। जैसे- मक्का, चावल, गेहूँ।
(2) कोशिकीय भ्रूणपोष (Cellular endosperm) : इसमें भ्रूणपोष केन्द्रक के
प्रत्येक विभाजन के पश्चात कोशिका भित्ति का निर्माण होता है। अतः यह आरंभ से अन्त तक कोशिकीय रहता है। सामान्यतः इस प्रकार के भ्रूणपोष में चूषकांग विकसित हो जाते है। इस प्रकार के भ्रूणपोष प्राय आवृत्तबीजी के गेमोपेटेली (Gamopetalae) वर्ग के सदस्यों में पाया जाता है।
(3) हेलोबियल भ्रूणपोष (Helobial endosperm) : यह उपरोक्त दोनों प्रकार के भ्रूणपोपों के मध्य का भ्रूणपोष है। यह केवल एकबीजपत्री के हिलोबियेल गण में पाये जाने के कारण ही इसे हेलोबियल (Helobial) भ्रूणपोष कहते हैं। प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक के प्रथम विभाजन पश्चात एक अनुप्रस्थ भित्ति बनने से यह दो प्रकोष्ठ (बीजाण्डद्वारी प्रकोष्ठ व निभागी प्रकोष्ठ) में विभक्त हो जाता है। निभागी प्रकोष्ठ वाली छोटी कोशिका के केन्द्रक मे मुक्त विभाजन होते हैं। बीजाण्ड द्वारी प्रकोष्ठ में केन्द्रक विभाजन एवं भित्ति निर्माण साथ-साथ होता है। इस प्रकार यह भ्रूणपोष केन्द्रकीय एवं कोशिकीय दोनों प्रकार के भ्रूणपोष का मिला-जुला रूप होता है।
अनेक पौधों में बीज का निर्माण होते समय भ्रूण अपने विकास के लिये सम्पूर्ण भ्रूणपोष का उपयोग कर लेता है, अतः बीज में परिपक्व अवस्था में भ्रूणपोष उपस्थित नहीं होता है, इस प्रकार के बीजों को अभ्रूणपोषी (non- endospermic=exalbuninous) बीज कहते है, जैसे चना, मूँगफली, मटर, सेम इत्यादि। कुछ बीजों में भ्रूण परिवर्धन के समय सम्पूर्ण भ्रूणपोप का उपयोग नही कर पाता है, फलस्वरूप परिपक्व बीज में भ्रूणपोष उपस्थित होता है। अतः इस प्रकार के बीजों को भ्रूणपोषी (endospermic = albuminous) बीज कहते हैं। जैसे-गेहूं, चावल, मक्का इत्यादि ।
भ्रूणपोष के कार्य (Functions of Endosperm)
(1) भ्रूणपोष की कोशिकाओं में कार्बोहाइड्रेट, वसा एवं प्रोटीन के रूप में भोज्य पदार्थ पाया जाता है जो कि भ्रण परिवर्धन में भ्रूण को पोषण प्रदान करता है।
(2) कुछ पौधों के कोशिकीय भ्रूणपोष में चूषकांग पाये जाते हैं जो कि भ्रूणपोष अथवा उसके बाहर उपस्थित कोशिकाओं से भोजन का चूषण करते है।
(3) बीज के अकुंरण के समय भ्रूणपोष नवोद्भिद् को भोजन प्रदान करता है।