स्वयुग्मन
1. एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प की वर्तिकाग्र पर पहुँचाते हैं तो इसे स्वयुग्मन कहते हैं।
2. इसमें परागण अभिकर्ता की आवश्यकता नहीं होती है।
3. इसमें संततियों में विभिन्नता उत्पन्न नहीं होती है।
| सजातपुष्पी परागण | | परनिषेचन |
1. | एक पुष्प के परागकण उसी पादप पर लगे किसी दूसरे पुष्प की वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं तो इसे सजातपुष्पी परागण कहते हैं। | 1. | एक पादप पर लगे पुष्प के परागकण उसी जाति के दूसरे पादप पर लगे पुष्प की वर्तिकाग्र पर पहुँचते है तो इसे परनिषेचन कहते हैं। |
2. | इसमें परागण अभिकर्ता की आवश्यकता होती है। | 2. | इसमें परागण अभिकर्ता की आवश्यकता होती है। |
3. | इसमें संततियों में विभिन्नता उत्पन्न नहीं होती है। | 3. | इसमें संततियों में विभिन्नता उत्पन्न होती है। |