अण्डोत्सर्जन की वह अपेक्षित अवधि जब निषेचन एवं गर्भ धारण के अधिक अवसर होते हैं उसे निपेच्य अवधि कहते हैं। यह माहवारी या आर्तव चक्र प्रारम्भ होने के 10वें दिन से 17वें दिन के बीच की अवधि होती है। इस दौरान सहवास या संभोग क्रिया से बचकर अर्थात् आवधिक संयम अपनाकर गर्भाधान से बचा जा सकता है।