एक द्विपरमाणुक गैस $(\gamma=1.4)$ के किसी द्रव्यमान का दाब 2 वायुमंडलीय दाब के बराबर है। इसको रूद्धोष्म अवस्था में इतना संपीडित किया जाता है कि उसका ताप $27^{\circ} C$ से $927^{\circ} C$ हो जाता है। अंतिम अवस्था में गैस का दाब है :
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$(c) \ T _1=273+27=300 K$
$T _2=273+927=1200 K $
रूद्धोष्म प्रक्रम के लिए
$ P ^{1-\gamma} T ^\gamma $
$\Rightarrow P _1{ }^{1-\gamma} T _1{ }^\gamma= P _2{ }^{1-\gamma} T _2{ }^\gamma $
$\Rightarrow\left(\frac{ P _2}{ P _1}\right)^{1-\gamma}=\left(\frac{ T _1}{ T _2}\right)^\gamma$
$\Rightarrow\left(\frac{ P _1}{ T _2}\right)^{1-\gamma}=\left(\frac{ T _2}{ T _1}\right)^\gamma$
$\left(\frac{ P _1}{ P _2}\right)^{1-1.4}=\left(\frac{1200}{300}\right)^{1.4}$
$\left(\frac{ P _1}{ P _2}\right)^{-0.4}=(4)^{1.4}$
$\left(\frac{ P _2}{ P _1}\right)^{0.4}=4^{1.4}$
$P _2= P _1 4^{\left(\frac{1.4}{0.4}\right)}= P _1 4^{\left(\frac{7}{2}\right)}$
$= P _1\left(2^7\right)=2 \times 128=256 $
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एक इंजन $1 / 6$ की दक्षता रखता है। जब इसके गर्त के तापमान को $62^{\circ} C$ से कम कर दिया जाता है, तो इसकी दक्षता दोगुनी हो जाती है। स्त्रोत का तापमान होगा $-$
एक मोल आदर्श गैस, प्रारंभिक अवस्था $A$ से अन्तिम अवस्था $B$ को निम्नलिखित दो प्रक्रमों से होकर जाती है। पहले इसके आयतन का $V$ से $3 V$ तक समतापीय रूप से प्रसार होता है। फिर, स्थिर दाब पर इसका आयतन $3 V$ से $V$ तक कम किया जाता है तो, इन दो प्रकमों को निरूपित करने के लिए सही $P-V$ आरेख है:
यदि किसी ताप गतिक प्रक्रम में, निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि $\Delta U$ और उसके द्वारा किया गया कार्य $\Delta W$ हो तो, निम्नलिखित में से कौन सा सत्य (सही) है?
एक उत्क्रमणीय इंजन ली गयी ऊष्मा का $1 / 6$ कार्य में बदलता है । यदि सिंक का तापतान $60^{\circ} C$ कम कर दिया जाए तो दक्षता दोगुनी हो जाती है । तो स्रोत्र तथा सिंक का तापमान होगा :
प्रारम्भिक ताप $TK$ पर आदर्श गैस का एक मोल रुद्धोष्मीय रूप से $6 R$ जूल कार्य करता है। यदि नियत दाब तथा आयतन पर गैस की विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात $5 / 3$ है, तो गैस का अन्तिम ताप होगा :