पचे हुए भोजन को आँत की भित्ति अवशोषित कर लेती है। क्षुद्रांत्र के आंतरिक अस्तर पर अंगुली जैसे अनेक प्रवर्ध होते है, जिन्हे दीर्घरोम (villi) कहते है। ये अवशोषण के सतही क्षेत्रफल को बढ़ा देते है। इनमे रुधिर वाहिकाओं की अधिकता होती है जो भोजन को अवशोषित करके शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुचाने का कार्य करती है। यहाँ इसका उपयोग ऊर्जा प्राप्त करने, ऊतकों का निर्माण करने तथा ऊतकों की मरम्मत के लिए किया जाता है।