श्रीलंका में सिंहली समुदाय व सरकार की बहुसंख्यकवादी नीतियों के विरोध में तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई और तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग को लेकर संघर्ष किया। श्रीलंका में इन दोनों समुदायों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने टकराव का रूप ले लिया जो गृहयुद्ध में परिणत हो गया। इसमें हजारों लोग मार जा चुके हैं। अनेक परिवार अपने देश से भागकर शरणार्थी बन गये हैं और लोगों की रोजी-रोटी चौपट हो गई है। इस प्रकार श्रीलंका के जातीय संघर्ष ने वहाँ के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में काफी परेशानियाँ पैदा कर दी हैं।