श्रीलंका सरकार के समक्ष तमिलों की प्रमुख माँगें थीं-
तमिल को भी राजभाषा का दर्जा दिया जाए,
शिक्षा तथा सरकारी नौकरियों में तमिलों को समान अवसर दिये जाएँ, तथा
तमिलों के आबादी वाले क्षेत्रों को स्वायत्तता प्रदान की जाये।
श्रीलंका सरकार ने तमिलों की मांगों को ठुकरा दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि तमिलों के उग्रवादी संगठन और सरकारी सेनाओं में रुक-रुक कर युद्ध चलता रहा है जिसमें हजारों लोग मारे जा चुके हैं तथा बहुमूल्य सम्पत्ति नष्ट हो चुकी है।