सिंचाई के साधन-हर तरह की फसल के उत्पादन हेतु पानी की आवश्यकता रहती है। सिंचाई की सहायता से | फसलों का उत्पादन सिंचित कृषि कहलाता है। विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरह के सिंचाई के साधन प्रयुक्त किए जाते हैं। सिंचाई के प्रमुख साधन कुएँ एवं नलकूप, नहरें, तालाब | इत्यादि हैं। राजस्थान में सिंचाई हेतु सिंचाई के साधनों में से सर्वाधिक कुएँ व नलकूप प्रयुक्त किए जाते हैं। इन साधनों द्वारा जयपुर, भरतपुर, अलवर, दौसा, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, अजमेर आदि जिलों में सिंचाई की जाती है। जबकि राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर जिलों में इन्दिरा गाधी नहर के माध्यम से नहरी सिंचाई की जाती है। इसके अतिरिक्त, भीलवाड़ा, बूंदी, कोटा, अलवर, टोंक, चित्तौड़गढ़, बाँसवाड़ा, उदयपुर, अजमेर, जोधपुर, पाली, जालोर इत्यादि जिलों में भी नहर से ही सिंचाई की जाती है।
जल की बचत: कृषि हेतु भूजल के अत्यधिक उपयोग से भूमिगत जल का स्तर निरंतर नीचे जा रहा है। अत: वर्षा जल के संरक्षण एवं प्राकृतिक जल स्रोत के पुनरुद्धार की। अति आवश्यकता है। इसी क्रम में, कुएँ एवं नलकूपों से की| जाने वाली सिंचाई अगर फव्वारा के माध्यम से एवं बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति से की जाए तो जल की अधिकाधिक बचत होगी। साथ ही, अगर धोरे एवं नहरें पक्की बना ली जाएँ तो उनसे भी आवश्यक जल की पर्याप्त बचत की जा सकती है |