संविधान में आरक्षण अनुसूचित जाति, जनजाति व दबे-पिछड़े वर्गों के लिए रखा गया है। यह समानता के सिद्धान्त के विरुद्ध नहीं है । चूंकि इन वर्गों को सदियों से दबा-कुचलकर रखा गया था। इन्हें आरक्षण देकर अन्य आम वर्गों के समकक्ष लाकर उन्हें समता प्रदान करने के लिए आरक्षण देना उचित है।