सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारण
1930 में गांधीजी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू हुआ, जिसके निम्नलिखित कारण थे-
(1) विश्वव्यापी आर्थिक मंदी- 1930 की विश्व-व्यापी आर्थिक मंदी के कारण भारत की आर्थिक स्थिति अत्यन्त शोचनीय थी। किसानों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई, बेरोजगारी तथा गरीबी बहुत बढ़ गई थी।
(2) साइमन कमीशन- साइमन कमीशन ने जो रिपोर्ट दी, उससे भारतवासियों को बड़ी निराशा हुई।
(3) लार्ड इरविन की घोषणा- भारतीयों के विरोध को शान्त करने के लिए वायसराय लार्ड इरविन ने अक्टूबर, 1929 में भारत के लिए 'औपनिवेशिक राज्य' की अस्पष्ट घोषणा की। उन्होंने केवल यह बताया कि भावी संविधान के बारे में चर्चा करने के लिए गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इस प्रस्ताव से कांग्रेस के नेता सन्तुष्ट नहीं थे।
(4) पूर्ण स्वराज की माँग- 31 दिसम्बर, 1929 को कांग्रेस अधिवेशन में 'पूर्ण स्वराज' का प्रस्ताव पास किया गया। इस अधिवेशन ने कांग्रेस को उचित अवसर पर सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने का अधिकार दे दिया।
(5) गांधीजी की माँगों को अस्वीकार करना- 31 जनवरी, 1930 को. गांधीजी ने वायसराय लार्ड इरविन को एक पत्र लिखा। इस पत्र में गांधीजी ने यह चेतावनी दी थी कि यदि 11 मार्च, 1930 तक उनकी माँगें नहीं मानी गईं, तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू कर देगी। जब वायसराय ने गांधीजी की बातें नहीं मानीं, तो उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने का निश्चय कर लिया।