भारत में सामूहिक अपनेपन का भाव किस प्रकार उत्पन्न हुआ? वर्णन कीजिये।
Download our app for free and get startedPlay store
भारत में विभिन्न समुदायों क्षेत्रों या भाषाओं से संबद्ध अलग-अलग समूहों में सामूहिक अपनेपन का भाव विकसित हुआ। सामूहिक अपनेपन की यह भावना आंशिक रूप से संयुक्त संघर्षों के चलते पैदा हुई थी। इनके अलावा बहुत सारी सांस्कृतिक प्रक्रियाएं भी थीं जिनके जरिए राष्ट्रवाद लोगों की कल्पना और दिलोदिमाग पर छा गया था।
इसमें निम्न तत्वों का प्रमुख योगदान था-
1. भारतमाता की छवि-बीसवीं सदी में राष्ट्रवाद के विकास के साथ भारत की पहचान भी भारत माता की छवि का रूप लेने लगी। इस छवि के निर्माण का आरंभ बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने किया था। 1870 के दशक में उन्होंने मातृभूमि की स्तुति के रूप में 'वन्दे मातरम्' गीत लिखा था। यह गीत बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन में खूब गाया गया। स्वदेशी आंदोलन की प्रेरणा से अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता की विख्यात छवि को चित्रित किया। इस चित्र में भारत माता एक संन्यासिनी के रूप में शांत, गम्भीर, दैवी और अध्यात्मिक गुणों से युक्त दिखाई देती है। आगे चल कर भारत माता की छवि विविध रूप ग्रहण करती गई। इस मातृ छवि के प्रति श्रद्धा को राष्ट्रवाद में आस्था का प्रतीक माना जाने लगा।
2. लोक कथाएं एवं गीत- भारतीय लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने से भी भारत में सामूहिक अपनेपन का अथवा राष्ट्रीयता का विचार मजबूत हुआ। उन्नीसवीं सदी के अन्त में राष्ट्रवादियों ने भाटों व चारणों द्वारा गाई-सुनाई जाने वाली लोक कथाओं को दर्ज करना शुरू किया। बंगाल में रबीन्द्रनाथ टैगोर ने लोक-गाथा में गीत, बाल गीत और मिथकों को एकत्रित किया। मद्रास में नटेसा शास्त्री ने तमिल लोक कथाओं का संकलन किया।
3. चिन्ह एवं प्रतीक- राष्ट्रीय आंदोलन में चिन्ह एवं प्रतीकों के प्रयोग से भी लोगों ने सामूहिक अपनेपन एवं राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न हुई। बंगाल में स्वदेशी आंदोलन के दौरान एवं तिरंगा झंडा (हरा, पीला, लाल) तैयार किया गया। इसमें ब्रिटिश भारत के आठ प्रांतों का प्रतिनिधित्व करते कमल के आठ फूल और हिंदुओं व मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता एक अर्धचंद्र दर्शाया गया था। 1921 तक गांधीजी ने भी स्वराज का झंडा तैयार कर लिया था। यह तिरंगा (सफेद, हरा और लाल) था। इसके मध्य में गांधीवादी प्रतीक चरखे को जगह दी गई थी जो स्वावलंबन का प्रतीक था। जुलूसों में यह झंडा थामे चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत था।
4. इतिहास एवं साहित्य- इतिहास एवं साहित्य भी भारत में सामूहिक अपनेपन की एवं राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने का साधन था। अनेक लोग भारत के उस प्राचीन युग के बारे में लिखने लगे जब कला और वास्तुशिल्प, विज्ञान और गणित, धर्म और संस्कृति, कानून और दर्शन, हस्तकला और व्यापार फल-फूल रहे थे। अनेक साहित्यिक कृतियों की भी रचना की गई। इस प्रकार उक्त अनेक तरीकों से लोगों में सामूहिक अपनेपन की भावना एवं राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न हुई।
art

Download our app
and get started for free

Experience the future of education. Simply download our apps or reach out to us for more information. Let's shape the future of learning together!No signup needed.*

Similar Questions

  • 1
    सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
    View Solution
  • 2
    भारत छोड़ो आन्दोलन के बारे में आप क्या जानते हैं? बतलाइये।
    View Solution
  • 3
    इतिहास की पुनर्व्याख्या ने किस प्रकार राष्ट्रवाद की भावना पैदा की? इसकी क्या समस्या थी?
    View Solution
  • 4
    गांधी जी द्वारा चलाए गये किन्ही दो आंदोलनों का विस्तार से वर्णन कीजिए ?
    View Solution
  • 5
    सविनय अवज्ञा आन्दोलन की प्रगति का वर्णन कीजिए। इस आन्दोलन का क्या महत्त्व था?
    View Solution
  • 6
    सविनय अवज्ञा आन्दोलन के क्या कारण थे?
    View Solution
  • 7
    भारत छोड़ो आंदोलन का वर्णन कीजिए ?
    View Solution
  • 8
    असहयोग आन्दोलन के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
    View Solution
  • 9
    शहरों में असहयोग आन्दोलन की प्रगति की विवेचना कीजिए। शहरों में आन्दोलन के धीमे पड़ने के क्या कारण थे?
    View Solution
  • 10
    रॉलेट एक्ट क्या था? गांधीजी द्वारा रॉलेट एक्ट का विरोधं किये जाने का विवरण दीजिए।
    View Solution