तांबे के तीन तारों के द्रव्यमान का अनुपात $1: 3$ : 5 तथा इनकी लम्बाई का अनुपात $5: 3: 1$ हैं। इन तारों के विद्युत प्रतिरोध का अनुपात होगा :
[1988]
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$ R =\frac{\rho \ell}{\pi r^2}, m =\pi r ^2 \ell d$
$R =\frac{\rho \ell^2 d }{ m }, R _1=\frac{\rho \ell_1^2 d }{ m _1}, R _2=\frac{\rho \ell_2^2 d }{ m _2}$
$R _3=\frac{\rho \ell_3^2 d }{ m _3}$
$R _1: R _2: R _3=\frac{\ell_1^2}{ m _1}: \frac{\ell_2^2}{ m _2}: \frac{\ell_3^2}{ m _3}$
$R _1: R _2: R _3=\frac{25}{1}: \frac{9}{3}: \frac{1}{5}=125: 15: 1 $
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एक सैल को पोटैंशियोमीटर तार के $110$ और $100$ से.मी. के प्रति क्रमानुसार $10 \Omega$ के प्रतिरोध से शंटित और न शंटित अवस्था में संतुलित किया जा सकता है। सैल का आंतरिक प्रतिरोध होगा:
किसी विभवमापी के परिपथ को चित्र में दिखाये गये अनुसार व्यवस्थिति किया गया है। इस विभवमापी के तार पर विभवपात (प्रवणता) $k$ वोल्ट प्रति सेन्टीमीटर है, और जब द्विमार्गी कुंजी नहीं लगी है (आंफ है) तब, परिपथ में जुड़े एमीटर की माप $1.0 A$ है। जब कुंजी (i) 1 और 2 के बीच लगी होती है तो, संतुलन बिन्दु $l_1 cm$ पर, (ii) और जब कुंजी 1 और 3 के बीच लगी होती है तो, संतुलन बिन्दु $l_2 cm$ पर प्राप्त होता है। तो, $R$ और $X$ प्रतिरोधकों का ओम में प्रतिरोध क्रमशः होगा
एक परिनालिका में $2000$ फेरे पास $-$ पास लपेटे गये हैं। इसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.5 \times 10^{-4} m ^2$ है और इसमें $2.0 A$ की विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। इसे लम्बाई के लम्बवत् अपने केन्द्र से इस प्रकार लटकाया गया है कि यह किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में क्षैतिज समतल में घूम सके। चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $5 \times 10^{-2}$ टेसला है और यह परिनालिका के अक्ष से $30^{\circ}$ का कोण बनाता है। परिनालिका पर बल आघूर्ण होगा
एक सेल के टर्मिनलों के बीच विभव $2.2 V$ है जबकि सेल खुले परिपथ में है। अगर $5 \Omega$ का प्रतिरोध सेल के टर्मिनलों के बीच लगा दें तो विभव $1.8 V$ हो जाता है। सेल का आन्तरिक प्रतिरोध होगा :