तंत्रिका-तंत्र और हॉर्मोन-तंत्र मिलकर मानवों में नियंत्रण एवं समन्वयन का कार्य संपन्न करते हैं। इस कथन को तर्कसंगत सिद्ध कीजिए।
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मानवों में, तंत्रिका-तंत्र और हॉर्मोन-तंत्र मिलकर नियंत्रण एवं समन्वयन का कार्य सम्पन्न करते हैं।
तंत्रिका तंत्र मानव शरीर के प्रत्येक भाग तक नहीं पहुँचता है; अतः उसे हॉर्मोन की सहायता की आवश्यकता होती है जो अन्तः स्रावी ग्रंथियों से स्रावित होते है तथा रक्त के द्वारा शरीर के सभी अंगों तक पहुँचकर सभी शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित तथा सुव्यवस्थित बनाए रखते हैं।
हॉर्मोन्स को स्रावित करने वाली अंतःस्रावी ग्रंथियाँ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित होती हैं। इस प्रकार मानवों में नियंत्रण एवं समन्वयन दो कारकों पर निर्भर होता है- पहला कारक, हॉर्मोन्स के रासायनिक संकेत तथा दूसरा तंत्रिका आवेग।
तंत्रिका तंत्र में ग्राही अंग सम्मिलित होते हैं जो अपने आस-पास के पर्यावरण से उद्दीपनों को ग्रहण करते हैं तथा ग्राही तंत्रिका की सहायता से सूचनाओं को विद्युत आवेगों के रूप में मेरुरज्जु तथा मस्तिष्क में भेजते हैं। तत्पश्चात् प्रेरक तंत्रिकाएँ अनुक्रिया को कार्यकर अगों (मुख्यतः शरीर की ग्रंथियों तथा पेशियों) तक संचरित करती हैं।)
यदि वे केवल तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा तंत्रिका आवेगों पर निर्भर हों तो केवल सीमित परास के ऊतकों को ही उद्दीप्त कर सकेंगी। क्योंकि, वे अतिरिक्त रासायनिक संकेत भी प्राप्त करते हैं, अतः बड़ी संख्या में ऊतक उद्दीप्त होते हैं। इसी कारण से जंतु किसी उद्दीपन के लिए विस्तृत परास में अनुक्रिया प्रदर्शित कर सकते हैं।
हॉर्मोन्स का नियंत्रण मुख्यतः पुनर्भरण क्रियाविधि भाग पर आधारित है। यह शरीर को बताता है कि परिस्थिति के अनुसार या तो तीव्र अथवा धीमा होना है। इसके विपरीत तंत्रिकीय नियंत्रण अधिक मात्रा में प्रत्यक्ष नियंत्रण के अधीन है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि तंत्रिका-तंत्र तथा हॉर्मोन-तंत्र मिलकर मानवों में नियंत्रण एवं समन्वयन का कार्य सम्पन्न करते हैं।
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