(1) कैलेण्डर निरक्षर लोगों की समझ में भी आ जाते थे। ये कैलेंडर चाय की दुकानों, कार्यालयों व मध्यवर्गीय लोगों के घरों में लटके रहते थे। इन कैलेंडरों को लगाने वाले लोग विज्ञापनों को भी प्रतिदिन अर्थात् पूरे वर्ष देखते थे। इन कैलेंडरों में भी नए उत्पादों को बेचने के लिए देवताओं के चित्र अंकित होते थे। इस कारण लोग इन उत्पादों को खरीदने के लिए प्रेरित हो जाते थे।
(2) महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों, सम्राटों व नवाबों के चित्रों का कैलेन्डरों में खूब प्रयोग होता था। इनका सन्देश प्रायः यह होता था--यदि आप इस शाही व्यक्ति का सम्मान करते हैं, तो इस उत्पाद का भी सम्मान कीजिए।
इस प्रकार उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में कैलेण्डर सहायक थे।