1750 के दशक तक भारतीय सौदागरों के नियंत्रण के नेटवर्क के टूटने के निम्नलिखित कारण थे-
स्थानीय दरबारों से अनेक रियायतें प्राप्त करने तथा व्यापार पर इजारेदारी अधिकार प्राप्त करने से यूरोपीय कम्पनियों की शक्ति बढ़ती जा रही थी।
इस कारण सूरत व हुगली दोनों पुराने बन्दरगाह कमजोर पड़ गए थे। इन बन्दरगाहों से होने वाले निर्यात में बहुत कमी आई।
अब मुम्बई व कोलकाता बंदरगाहों की स्थिति सुदृढ़ हो गई। नये बन्दरगाहों के द्वारा होने वाला व्यापार यूरोपीय कम्पनियों के नियंत्रण में था और यूरोपीय जहाजों के द्वारा होता था।
अनेक पुराने व्यापारिक घराने नष्ट हो चुके थे। शेष बचे घरानों के पास भी यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के नियंत्रण वाले नेटवर्क में काम करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं था।