गुमाश्ते बुनकरों के साथ कठोर एवं अपमानजनक व्यवहार करते थे। माल समय पर तैयार न होने पर उन्हें कठोर दण्ड दिया जाता था। बुनकरों की पिटाई की जाती थी और उन्हें कोड़े लगाए जाते थे।
गुमाश्तों के व्यवहार से बुनकरों में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ। कर्नाटक और बंगाल में अनेक स्थानों पर बुनकर गाँव छोड़कर भाग गए। वे अपने सम्बन्धियों के यहाँ जाकर किसी और गाँव में अपना करघा लगा लेते थे। अनेक स्थानों पर उन्होंने कम्पनी और उसके अधिकारियों का विरोध किया और गाँव के व्यापारियों के साथ मिलकर विद्रोह कर दिया। कुछ समय बाद अनेक बुनकरों ने कर्जा लौटाने से इनकार कर दिया। उन्होंने करघे बन्द कर दिए और खेतों में मजदूरी करने लगे।