वोल्टमीटर की परास बदलने के लिये क्या करते हैं?
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$-R_H=\left(\frac{V}{i_g}\right)-G$
इस उच्च प्रतिरोध को अभीष्ट धारामापी के श्रेणीक्रम में संयोजित करने पर यह V परास का वोल्टमीटर बन जायेगा। गैल्वेनोमीटर के श्रेणीक्रम में निर्धारित उच्च प्रतिरोध $R _{ H }$ लगने पर बने वोल्टमीटर का प्रभावी प्रतिरोध $R_V=\left(R_H+G\right)$ बहुत अधिक (G की तुलना में बहुत अधिक) हो जाता है। इस प्रकार परिपथ के किसी भाग में विभवान्तर मापन हेतु, समान्तर क्रम में संयोजित वोल्टमीटर का स्वयं का प्रतिरोध बहुत अधिक हो जाने के कारण यह परिपथ में प्रवाहित धारा के न्यूनतम अंश को अपने से गुजार कर परिपथ में बहने वाली लगभग पूर्ण धारा के अनुरूप उत्पन्न विभवान्तर का यथेष्ठ मापन कर देता है।
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