यदि शिक्षक द्वारा प्रतिनिधि मनोनीत कर दिया जाता, तो बच्चा को अपने मतों को प्रयोग करने का मौका नहीं मिलता। वे अपने पसंद से अपनेप्रतिनिधि का चुनाव नहीं कर पाते, उनमें अपने अधिकारों और अपने कर्तव्यों को जानने की जिज्ञासा नहीं होती और निर्णय करने की क्षमता का विकास नहीं होता।