अण्डाशय की परिपक्व पुटिका का फटना (अण्डोत्सर्ग) → द्वितीयक अण्डक→ द्वितीयक अण्डक का झालर की सहायता से कीपक (अण्डवाहिनी) में प्रवेश → तुंबिका व संकीर्ण पथ के संधि स्थल पर निषेचन → युग्मनज में विदलन → मोरूला का निर्माण व अण्डवाहिनी में आगे की ओर गति → मोरूला से ब्लास्टोलिस्ट का निर्माण → ब्लास्टोसिस्ट का अन्तर्रोपण → अपरा का निर्माण।