अंग्रेजों की नीतियों एवं अपने शोषण के विरुद्ध आदिवासियों के प्रतिरोध का वर्णन कीजिये।
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(1) उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दियों के दौरान देश के विभिन्न भागों में आदिवासी समूहों ने नये कानूनों, अपने व्यवहार पर लगी बंदिशों, नये करों तथा व्यापारियों एवं महाजनों द्वारा किये जा रहे शोषण के विरुद्ध अनेक बार विद्रोह किया।
(2) 1831-32 में कोल आदिवासियों ने, 1855 में संथालों ने, 19वीं सदी के आखिरी दशक में बिरसा मुण्डा ने विद्रोह किया। 1910 में मध्य भारत में बस्तर विद्रोह तथा 1940 में महाराष्ट्र में वर्ली विद्रोह हुआ।
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