(1) अनेक आदिवासी समूहों ने औपनिवेशिक वन कानूनों का विरोध किया। उन्होंने नए नियमों का पालन करने से इनकार कर दिया और उन्हीं तौर-तरीकों से चलते रहे जिन्हें सरकार गैर-कानूनी घोषित कर चुकी थी।
(2) कई बार उन्होंने खुलेआम बगावत भी कर दी। 1906 में सोंग्रम संगमा द्वारा असम में और 1930 के दशक में मध्यप्रांत में हुआ वन सत्याग्रह इसी तरह के विद्रोह थे।