असहयोग आन्दोलन के कारण
जनवरी, 1921 में गांधीजी के नेतृत्व में अंसहयोग आन्दोलन शुरू हुआ। इस आन्दोलन के निम्नलिखित कारण थे-
करों में वृद्धि- प्रथम विश्व युद्ध के कारण रक्षा-व्यय की पूर्ति के लिए ब्रिटिश सरकार ने करों में वृद्धि की, सीमा-शुल्क भी बढ़ा दिया और आयकर नामक कर शुरू किया गया। इससे भारतीयों में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ।
मूल्यों में वृद्धि- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मूल्यों में अत्यधिक वृद्धि हुई। जिसके फलस्वरूप जनसाधारण का जीवन-निर्वाह करना बहुत कठिन हो गया था।
गाँवों में सैनिकों की जबरन भर्ती- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गाँवों में सैनिकों को जबरदस्ती भर्ती किया गया जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में तीव्र आक्रोश व्याप्त था।
गांधीजी को निराशा- प्रथम विश्व युद्ध में गांधीजी ने अंग्रेजों की आर्थिक और सैनिक सहायता इस आशा से की थी कि ब्रिटिश सरकार भारतीयों को स्वराज प्रदान करेगी। परन्तु युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटिश सरकार की ओर से स्वराज प्रदान किए जाने के बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया।
रॉलेट एक्ट- 1919 में ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट पारित कर दिया। इस अन्यायपूर्ण कानून से भारतीयों में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ।
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड- अमृतसर में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने असहयोग आन्दोलन को जनआन्दोलन में बदल दिया।
सरकार की दमनकारी नीति- जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के बाद ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति अपनाई और पंजाब के लोगों पर भीषण अत्याचार किये।
खिलाफत आन्दोलन- गांधीजी ने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया। खिलाफत आन्दोलन से असहयोग आन्दोलन को बढ़ावा मिला।