भारत के पिछले 250 वर्षों का इतिहास जानने के प्रमुख स्रोत अग्र प्रकार हैं-
(1) सरकारी रिकॉर्ड-अंग्रेजी शासन में रखे गये सरकारी रिकार्ड इतिहासकारों का महत्त्वपूर्ण साधन हैं। अंग्रेज विश्वास करते थे कि चीजों को लिखना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। अंग्रेज सभी महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों तथा पत्रों को सम्भालकर रखना आवश्यक मानते थे। उन्होंने विभिन्न दफ्तरों के अलग- अलग रिकार्ड रूम बनवाये थे। महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों को बचाकर रखने के लिए अभिलेखागार और संग्रहालय आदि बनवाये थे। इनमें उपलब्ध सरकारी रिकार्डों तथा दस्तावेजों से भारत के पिछले इतिहास को जानने में बहुत मदद मिलती है।
(2) सर्वेक्षण रिपोर्टें- औपनिवेशिक शासन के दौरान अनेक सर्वेक्षण किये गये। इन सर्वेक्षण रिपोर्टों से भी हमें भारत के पिछले 250 वर्षों के इतिहास को जानने में मदद मिलती है।
(3) अन्य स्त्रोत- उक्त दोनों प्रकार के स्रोतों से अधिकांशतः सरकारी अफसरों की सोच का ही पता चल पाता है। देश के अन्य लोगों के विचार जानने के लिए लोगों की डायरियों, यात्रियों के संस्मरणों, महत्त्वपूर्ण लोगों की आत्मकथाओं, विभिन्न पुस्तक-पुस्तिकाओं तथा अखबारों की खबरों को स्रोत के रूप में काम में लिया जाता है।