ऐसा ज्ञात होता है कि मुगल सम्राटों को भू-राजस्व के अलावा आय का कोई अन्य स्रोत नहीं था। शहर के शिल्पियों से कुछ कर मिल जाता था, लेकिन वह दाल में नमक के बराबर था । साम्राज्य में जो भी वाणिज्य-व्यापार था वह स्थानीय ही था । अतः वाणिज्य कर भी नगण्य ही था । इसी कारण मुगल साम्राज्य के स्थायित्व के लिए भू-राजस्व से प्राप्त होनेवाली आय ही जरूरी थी।