सल्तनत काल में कुछ ऐसे अमीर बना दिये गये थे, जो वास्तव में उसके योग्य नहीं थे । बरनी ने इसी बात की आलोचना की थी । सल्तनत काल में अमीरों की संख्या कम थी। हालांकि इन्होंने भारतीय मुसलमानों को भी अमीर बनाया और कुछ हिन्दू, जैन, अफगान और अरब लोगों को अमीर बनाया लेकिन उनकी संख्या नगण्य थी।
अकबर के दरबार में 51 दरबारी अमीर के ओहदा पर थे । यही लोग शासन-प्रशासन की देखरेख करते थे । इनमें अनेक अकबर के रिश्तेदार भी शामिल थे । इनको बड़ी-बड़ी जागीरें दी गई थीं । ये अपने को बादशाह के समकक्ष समझते थे । अकबर ने कुछ भारतीय मुसलमानों को भी अमीर बनाया और इसके कुछ अमीर ईरानी और तूरानी भी थे । हिन्दुओं को इसने अमीरों से भी ऊँचे ओहदों पर रखा ।