भारतीय संविधान ने चुनावों की निष्पक्षता की जाँच के लिए एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का गठन किया है। जिसे ‘भारतीय निर्वाचन आयोग’ कहते हैं। इसके मुख्य चुनाव आयोग की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं। इन्हें कार्यकाल के पहले कोई सरकार हटा नहीं सकती
दुनिया के शायद ही किसी चुनाव आयोग को भारत के चुनाव आयोग जितने अधिकार प्राप्त हैं। इनके अधिकार और कार्य इस प्रकार हैं
- मतदाता सूचियों को तैयार करना-चुनाव आयोग का महत्वपूर्ण कार्य संसद तथा राज्य विधानमंडलों के चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करना है।
- चुनाव के लिए तिथि निश्चित करना-चुनाव आयोग विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में चुनाव करवाने की तिथि निश्चित करता है । नामांकन पत्रों के दाखिले की अंतिम तिथि तथा नामांकन पत्रों की जाँच करने की तिथि घोषित करता है।
- चुनाव का निरीक्षण, निर्देशन तथा नियंत्रण-उपर्युक्त तीनों अधिकार चुनाव आयोग को प्राप्त हैं।
- चुनाव में तैनात अधिकारी सरकार के नियंत्रण में नहीं होते बल्कि निर्वाचन आयोग के अधीन कार्य करते हैं।
- चुनाव क्षेत्र में मतदान ठीक ढंग से नहीं होने के पुख्ता प्रमाण देते ही वहाँ पुनर्मतदान होता है, यह अधिकार चुनाव आयोग का हैं।
- चुनाव आयोग लगातार चुनाव सुधारों के काम में लगा हुआ है और लोगों की कठिनाइयों एवं चुनावी धांधलियों पर नियंत्रण रखने के लिए नये-नये उपाय कर रहा है । अब फोटो पहचान पत्र बनाने का कार्य अनवरत चल रहा है।