एक इलेक्ट्रॉन सरल रेखीय पथ, $XY$ पर गतिमान है। एक कुंडली abcd इस इलेक्ट्रॉन के मार्ग के निकटवर्ती है (आरेख देखिये) तो, इस कुंडली में प्रेरित धारा (यदि कोई हो तो) की दिशा क्या होगी?
[2015]
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(b) धारा प्रेरित होगी। जब $e ^{-}$नजदीक आता है तब प्रेरित धारा की दिशा वामावर्त होगी तथा जब $e ^{-}$ दूर जाता है तब प्रेरित धारा की दिशा दक्षिणावर्त होगी।
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$r$ त्रिज्या की एक पतली अर्द्धवृत्ताकार चालक रिंग (वलय) $( PQR )$ किसी क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र $B$ में गिर रही है। गिरते समय इसका समतल, आरेख में दर्शाये गये अनुसार, ऊध्र्वाधर रहता है। जब गिरती हुई रिंग की चाल $v$ है तो, इसके दो सिरों के बीच विकसित विभवान्तर होगा
किसी लम्बी परिनालिका में फेरों की संख्या $1000$ है। जब परिनालिका से $4 A$ धारा प्रवाहित होती है, तब इस परिनालिका के प्रत्येक फेरे से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स $4 \times 10^{-3} Wb$ है । इस परिनालिका का स्व$-$प्रेरकत्व है:
एक लम्बे बहुकुंडलक(सोलिनाइड) में 500 फेरें हैं। जब इसमें 2 ऐम्पीयर की धारा प्रवाहित की जाती है, तो हर फेरे से सम्बन्धित चुम्बकीय फ्लक्स $4 \times 10^{-3} Wb$ होती है। सोलिनाइड का स्वप्रेरकत्व होगा:
एक आयताकार, एक वर्गाकार, एक वृत्तीय और एक दीर्घवृत्तीय फन्द जो सभी $x - y$ तल में हैं, एक अचर चुम्बकीय क्षेत्र से स्थिर वेग $\overrightarrow{ V }= v \hat{ i }$ से बाहर निकल रहे हैं। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ऋणात्मक $z$ अक्ष की दिशा में है। क्षेत्र से बाहर निकलने के प्रक्रम में इन फन्दों में प्रेरित वि.वा.ब (emf) स्थिरमानी नहीं रहेगा :-
एक परिपथ जिसका प्रतिरोध $R$ है उसमें लगने वाला चुम्बकीय फ्लक्स $\Delta \phi, \Delta t$ समय में बदल जाता है तो परिपथ में बनने वाला कुल आवेश $Q , \Delta t$ समय में है: