किसी लम्बी परिनालिका में फेरों की संख्या $1000$ है। जब परिनालिका से $4 A$ धारा प्रवाहित होती है, तब इस परिनालिका के प्रत्येक फेरे से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स $4 \times 10^{-3} Wb$ है । इस परिनालिका का स्व$-$प्रेरकत्व है:
[2016]
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$(d)$ यहाँ, फेरों की संख्या $n =100$; सॉलेनॉड में बहने वाली धारा $i =4 A$; प्रत्येक फेरे से संबद्ध फ्लक्स $=4 \times 10^{-3} Wb$
$\therefore$ सम्पूर्ण फ्लक्स
$ =1000\left[4 \times 10^{-3}\right]=4 Wb$
$\phi$ कुल $=4 \Rightarrow Li =4$
$\Rightarrow L =1 H $
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एक आयताकार कुण्डली का क्षेत्रफल 25 सेमी $^2$, प्रतिरोध $100 \Omega$ तथा फेरों की संख्या 20 है। यदि चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल के लम्बवत् हो तथा 1000 टेसला/सेकण्ड की दर से बदलता हो तो धारा का मान है
एक इलेक्ट्रॉन सरल रेखीय पथ, $XY$ पर गतिमान है। एक कुंडली abcd इस इलेक्ट्रॉन के मार्ग के निकटवर्ती है (आरेख देखिये) तो, इस कुंडली में प्रेरित धारा (यदि कोई हो तो) की दिशा क्या होगी?
एक लम्बे बहुकुंडलक(सोलिनाइड) में 500 फेरें हैं। जब इसमें 2 ऐम्पीयर की धारा प्रवाहित की जाती है, तो हर फेरे से सम्बन्धित चुम्बकीय फ्लक्स $4 \times 10^{-3} Wb$ होती है। सोलिनाइड का स्वप्रेरकत्व होगा:
$10 \Omega$ प्रतिरोध की एक कुंडली में, इससे संबद्व चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन से प्रेरित विधुत धारा को समय के फलन के रूप में दिये गए आरेख द्वारा प्रदर्शित किया गया है तो, इस कुंडली से संबद्व फ्लक्स में परिवर्तन का मान वेबर में है:
$400 \Omega$ प्रतिरोध की एक कुंडली को एक चुम्बीय क्षेत्र में रखा गया है। यदि कुंडली से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स $\phi( wb )$ समय $t$ ( सेकंड) के साथ निम्न प्रकार परिवर्तित होता है, $\phi=50 t ^2+4$ तो कुण्डली में प्रवाहित धारा ( जब $t=2$ सेकंड) होगी:
एक चालक वृताकार पाश ( लूप) को किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $B=.025 T$ है और इसका तल पाश के लम्बवत् है। पाश की त्रिज्या को $1 mm s ^{-1}$ की स्थिर दर से सिकुड़ने दिया जाता है। पाश की त्रिज्या 2 सेमी होने पर उसमें प्रेरिज विद्युत वाहक बल (e.m.f.) है
दो कुण्डलियों के स्वप्रेरण $2 mH$ तथा $8 mH$ हैं। दोनों को इतना नजदीक रखा गया कि पहली कुण्डली का चुम्बकीय फ्लक्स दूसरी से भी लिंक हो सके। तो इनके बीच अन्तः प्रेरण है :